चुनावी माहौल पे कुछ पंक्तिया
आज नेताओ को देशवासियो की चिंता सतायी हैं , आज किसानो की गरीबी याद आयी हैं | आज नेताओ को नागरिको के दुःख दिख जायेंगे, आज ही देशवासियो की समस्या झूठे वादों से सुलझायेंगे | आज नेता बच्चों की झूठी कसम भी खा जायेगा, सत्ता पाने के लिए दुश्मन भी दोस्त बन जायेगा | आज देश के गरीबो का क़र्ज़ याद आया है , वादों से ही माफ़ हो जायेगा | अगले चुनाव में यही मुद्दा आएगा , ओर जो किसान है , वो और क़र्ज़ में डूब जायेगा | आज समझ आया है, फसल बर्बाद होने का दुःख और देशवासियो की लाचारी , आज समझ आयी है देश के लोगो की बेरोज़गारी , ऐसा लगता है जैसे है, जैसे आज ही आए है सारे रोग और सारी बीमारी | आज देश के लिए कुछ भी कर जायेगा, आज एक नेता दूसरे पे इलज़ाम लगायेगा, एक दूसरे को बदनाम कर के सत्ता पाना चाहेगा, देश की बात कम , दुसरो की बुराई ज्यादा कर जायेगा , और ये देशवासी जैसा था वैसा ही रेह जायेगा || -- कवि अंदरूनी