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प्राइवेट नौकरी पर चंद पंक्ति

प्राइवेट नौकरी करने चला है बंधु, सोच के की खूब कमायेगा पैसा, रोब होगा सरकारी बाबू जैसा , ना मिली माया ना मिला पैसा, जो पिताजी के राज रहते था राजा जैसा, मंथ एन्ड आते आते वही आदमी हो गया है फकीरो जैसा !! प्राइवेट नौकरी के लिए भी खूब करी पढ़ाई लिखाई, बाद में पता चला ये तो है सिर्फ चप्पल घिसाई, मेहनत कर कर के लोन की ई एम आई भर पाता है बाकी का खर्चा उधार मांग के चलाता है !! प्राइवेट नौकरी है एक कलयुगी दलदल, जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी यहां से निकल, अगर टिकना है यहां तो चाणक्य बनकर चल !! सीधे आदमी का यहां कोई काम नही, सीधा रहा तो तू काम करता रह जायेगा, तेरे हिस्से की मलाई भी कोई और खा जाएगा !! यहां चाटुकारो की जय जय कार होती है, चाटुकार आगे बढ़ते चले जाते है मेहनती और योग्य चप्पल घिसते रह जाते है!! प्रमोशन के लिए चाटूकार बनाना पड़ता है, या फिर कंपनी छोड़ना पड़ता है, साल भर नई नई टेक्नोलॉजी सीखनी पड़ती है, इंक्रीमेंट के नाम पर भीख मांगनी पड़ती है, सालो की कमाई धूल बन जाती है, जब थोड़ी भी आर्थिक स्तिथि गड़बड़ाती है !! --कवि अंदरूनी

उम्मीद

सुना है उम्मीद पर दुनिया कायम है, आखिर क्या है ये उम्मीद, और हमे उम्मीद से इतनी उम्मीद क्यों है सब कुछ हारकर  जितने की उम्मीद  गिरे हुए को खड़ा होकर चलने की उम्मीद  नेता को वोट मिलने की उम्मीद  गरीब को काम मिलने पर नोटों की उम्मीद  बेरोज़गार को रोज़गार की उम्मीद  बीमार को स्वस्थ होने की उम्मीद  बईमान को रिश्वत मिलने की उम्मीद  ईमानदार को पुरुस्कार मिलने की उम्मीद  बेसहारा को सहारे की उम्मीद  भक्त को भगवान से उम्मीद  नौकर को मालिक से उम्मीद  रात के अँधेरे को सूरज की रौशनी की उम्मीद  ज़िन्दगी का हौसला बढ़ाये रखती है उम्मीद  जरुरी नहीं है हर बार पूरी हो जाये उम्मीद  लेकिन इसमें निराश होने की बात क्या, एक बार और प्रयास कर के जितना की उमंग जगाती है उम्मीद  तू मत हो निराश , उठ खड़ा हो और एक बार और कर प्रयास, प्रयास करता रहेगा जबतक  उम्मीद की दुनियां कायम रहेगी तब तक  - कवी अंदरूनी 

Lock Down aur pradushan (Ek Sandesh)

Insaan ko samaj ayi hai prakriti ki kimat, Jab insaan reh gaya hai ghar mein simat hawa saaf hai, pradushan hua hai kam, jab insaano ne liya hai ghar mein hi dum. nirmal, saaf prakriti ke sath manushya ne khilwaad kiya h, apne ghar ko saaf rakha aur vatavaran ko barbaad kiya hai, is duniya par pakshiyo, jaanwaro ka bhi haq hai, pata nahi manushya ko is baat par kyu shaq hai, prakriti aur aas pass ka vatavaran ko saaf rakhna hamara farz hai, isko hamesha nirmal aur saaf rakhne mein kya harz hai ped, podhe aur jaanwar bhi dua denge jab hum log gandagi aur pradushan kam krenge aaj se sankalp lena hai ped lagayenge jyada se jyada pradushan aur gandagi lrenge kam se kam, esi mein hai fayda hi fayda shudh hawa, nirmal behta pani, agar humne aaj iski kimat na jani, pachtana padega baad mein, ab bhi sambhal jao, jab tak baat hai haath mein -kavi Andruni

Aaj ka Ashiq

Aaj ka majnu, apne aap ko ashiq maan baitha h, khud ko samajhdar aur jamane ko gawar maan baitha h, thode din k ishq mein apni mehbooba ko jaan maan baitha,  jin maa baap ne zindagi bhar pala posa unko paraya maan baitha h.  ab na dost suhaate, aur na hi duniya, sabko dushman maan baitha h,  majnu apni laila ko sansar maan baitha h bs apni hi mehbooba hi yaad satati h,  thoda kuch ho jaye mehbooba ko, to fat se dauda chale jayega,  ye ashiq apne aap ko mehbooba ka baap maan baitha h Aaj ka majnu, apne aap ko ashiq maan baitha h, khud ko samajhdar aur jamane ko gawar man baitha h, Ye aaj ka majnu h galib, apne aap ko ashiq maan baitha h, jis se ghar ka ek kaam na hota tha, ye sab kuch kr jayega apne pyar mein, khud ko bhagwaan maan baitha h, ye ashiq h sahab duniya se lad jayega, ye khud ko super hero maan baitha h, subah shaam apni mehbooba ko le jaane aur laane k liye taiyar apne aap ko uska permanent driver maan baitha h, ek chik a

लॉक डाउन और प्रदुषण (एक सन्देश)

इंसान  को  समझ  आई  प्रकृति  की  कीमत , जब  इंसान  रह  गया  है   घर  में  सिमट हवा  साफ़  है , प्रदूषण  हुआ  है  कम. जब  इंसानो  ने  लिया  है  घर  में  ही  दम निर्मल , साफ़  प्रकृति  के साथ  मनुष्य  ने  खिलवाड़  किया  है . अपने  घर  को  साफ़  रखा  और  वातावरण  को  बर्बाद  किया  है इस  दुनिया  पर  पक्षियों , जानवारो  का  भी  हक़  है, पता  नहीं  मनुष्य  को  इस  बात  पर  क्यों  शक  है प्रकृति  और  आस  पास  के  वातावरण  को  साफ़  रखना  हमारा  फ़र्ज़  है , इसको  हमेशा  निर्मल  और  साफ़  रखने  में  क्या  हर्ज़  है पेड़ , पौधे  और  जानवर  भी  दुआ  देंगे , जब  हम  लोग  गंदगी  और  प्रदुषण  कम  करेंगे . आज  से  संकल्प  लेना  है  पेड़  लगाएंगे  ज्यादा  से  ज्यादा , प्रदूषण  और  गन्दगी  करेंगे  कम  से  कम , इसी  में  है  फायदा  ही  फायदा शुद्ध  हवा , निर्मल  बहता पानी , अगर  हमने  आज  इसकी  कीमत  ना  जानी, पछताना  पड़ेगा  बाद  में , अब  भी  संभल  जाओ , जब  तक  बात  है  हाथ  में || - कवी अंदरूनी 

आज का बेरोज़गार (हिंदी कविता)

नौकरी  की  तलाश  में  खड़ा  एक  बेरोजगार  है , आस  है , नौकरी  की  तलाश  है , कामयाब  होने  का  जज़्बा  है , आसमान  को  छूने   की  चाहा  है नौकरी  की  तलाश  में  हताश  खड़ा  बेरोजगार  है || मेहनत करने  को  तैयार  है , हर  नयी  चीज़  को  सिखने  को  तैयार . जी  जान  से  मेहनत  कर, दुनिया  को  पछाड़ने  को  तैयार  है नौकरी  की  तलाश  में  हताश  खड़ा  बेरोजगार  है ||. अपना  परिवार , बचपन  के  दोस्त यार  छोड़ने  को  तैयार है . अपने  सारे  त्योहार , अपनों  से  दूर  बनाने को  तैयार है नौकरी  की  तलाश  में  अपने  घर  आंगन  को  छोड़ने  को  तैयार  है नौकरी  की  तलाश  में  हताश  खड़ा  बेरोजगार  है || बहन  की  शादी  की  चिंता  है , माँ  बाप  की  दवाई  की  खर्च  की   चिंता  है , समाज  के  ताने  सेहता, घर  की  का  खर्चा  उठाने  में  नाकामयाब  है , नौकरी  की  तलाश  में  हताश  खड़ा  बेरोजगार  है || दो  वक़्त  खाने  की  तलाश  है , दुसरो  की  तरफ  बेबसी  से  देखता  आज  का  बेरोज़गार  है जोश  की  कमी  नहीं  है , मौके  की  तलाश  है नौकरी  की  तलाश  में  हताश  खड़ा  बेरोजगार  है || - कवी अं

Aaj ka berozgar

naukri ki talash mein khada ek berojgar h, aas h, naukri ki talash h, kamyab hone ka jazba h,' aasman ko chunne ki chah h. naukri ki talash mein hatash khada berojgar h. mehnat krne ko taiyar h, har nayi chiz ko sikhne ko taiyar. jee jaan se mehnat kr, duniya ko pachadne ko taiyar h naukri ki talash mein hatash khada berojgar h. Apna parivar, bachpan k dost chodne ko taiyar. Apne saare tyovahar, apno se dur banane banane ko taiyar nakri ki talash mein apne ghar angan ko chodne ko taiyar h naukri ki talash mein hatash khada berojgar h. Bahan ki shadi ki chinta h, maa baap ki dawai k kharch ki  chinta h, Samaj k taane sehta, ghar ki ka kharcha uthane mein nakamayab h, naukri ki talash mein hatash khada berojgar h. do waqt khane ki talash h, dusro ki taraf bebasi se dekhta aaj ka berozagar h Josh ki kami nahi h, mauke ki talash h. naukri ki talash mein hatash khada berojgar h.